समूचे भारतवर्ष में 8 नवंबर को शाम 5:20 से तकरीबन 1 घंटे तक चंद्रग्रहण का योग बना हुआ था। इस चंद्रग्रहण के मौके पर लोग अपने घरों से बाहर बहुत कम देर के लिए निकले थे। भले ही चंद्रग्रहण सिर्फ 1 घंटे का था लेकिन इसका सूतक काल तकरीबन 9 घंटों का था और इसी वजह से लोग ग्रहण के प्रभाव से ज्यादा प्रभावित नहीं हो इसी वजह से इससे बचते नजर आए। हालांकि ग्रहण के समाप्त होते ही लोगों ने मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की लेकिन ग्रहण समाप्त होने के कुछ घंटों के बाद ही आधी रात को पूरे भारतवर्ष में भूकंप के झटके आए और आइए आपको बताते हैं भूकंप और चंद्रग्रहण के बीच में ऐसा क्या कनेक्शन था जो आपको जानना चाहिए।
चंद्रग्रहण और भूकंप के बीच था यह कनेक्शन

मंगलवार को सुबह 9:00 बजे के बाद से ही इस साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का सूतक काल लग गया था। सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है और यहां तक की मंदिर और बड़े प्रतिष्ठानों को भी बंद कर दिया जाता है। सोशल मीडिया पर कई वेबसाइट ने चंद्र ग्रहण का लाइव प्रसारण भी दिखाया था और लोग अभी चंद्र ग्रहण की चर्चा कर ही रहे थे कि आधी रात को दिल्ली सहित कई शहरों में इतनी तीव्र भूकंप के झटके से सभी लोग दहल उठे। कई लोगों का मानना है कि भूकंप और चंद्रग्रहण के बीच में कुछ न कुछ ऐसा कनेक्शन था जिसकी वजह से बहुत कम समय में ही यह दोनों बातें घटित हो गई। आइए आपको बताते हैं भूकंप और चंद्रग्रहण के बीच में ऐसे कौन से समानता थी जिसके कारण लोग ऐसी बातें करते नजर आ रहे हैं।
चंद्रग्रहण और भूकंप के बीच में था इतने समय का अंतर

मंगलवार को इस साल का आखरी चंद्र ग्रहण लगा था जिसकी समय अवधि तकरीबन 1 घंटे की थी। चंद्रग्रहण तभी लगता है जब पृथ्वी अपनी परिक्रमा करते हुए सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाता है। वहीं दूसरी तरफ इस चंद्रग्रहण के समाप्त होते ही बहुत तीव्र भूकंप के झटके देखे गए थे जिसके बाद लोगों का मानना था कि कहीं ना कहीं चंद्रग्रहण और भूकंप के झटकों में कुछ ना कुछ समानता थी। हालांकि भूकंप इस वजह से आता है क्योंकि पृथ्वी की ग्रेविटी में जब इसका असर देखने को मिलते हैं तभी यह झटके महसूस होते हैं लेकिन कुछ लोगों का यह मानना था कि कहीं न कहीं इन दोनों में समानताएं थी लेकिन ऐसी कोई भी बात सच्चाई नहीं है बल्कि यह सिर्फ समय का खेल था जिसमें एक ही दिन चंद्रग्रहण और भूकंप दोनों घटनाएं एक साथ घटित हुई।