चंद्र ग्रहण समूचे भारतवर्ष में इस साल 8 नवंबर को लगने जा रहा है। यह साल का आखिरी चंद्रग्रहण होगा और इसी वजह से लोगों में इसे देखने की उत्सुकता बहुत ही चरम पर हैं। कई लोग इस बात को जानते हैं कि चंद्रग्रहण को कभी भी खुली आंखों से नहीं देखनी चाहिए नहीं तो उसके दुष्परिणाम कुछ ऐसे होते हैं जिसके कारण लोगों के इसके परिणाम बहुत खराब तरीके से भुगतने पड़ते हैं। भले ही चंद्रग्रहण शाम को 5:00 बजे के बाद लगने वाला है लेकिन इसका सूतक काल पूरे दिन बरकरार रहेगा और आइए आपको बताते हैं 8 नवंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल कितने बजे से प्रारंभ होगा और भारतवर्ष में सबसे पहला चंद्र ग्रहण कहां पर नजर आएगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल इतने बजे से हो जाएगा प्रारंभ
8 नवंबर को लगने वाले पूरे भारतवर्ष में चंद्र ग्रहण का प्रकोप ऐसा नहीं है कि चंद्रग्रहण के समय ही होगा। चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले यानी की प्रातः 8:00 बजे के बाद से ही इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। सूतक काल के दौरान घर में चूल्हा जलाने की सख्त मनाही होती है और यह बात कही जाती है कि सूतक काल के दौरान लोगों को अपने घर में खाद्य पदार्थ नहीं बनाना चाहिए। यही नहीं इस दौरान जब तक ज्यादा जरूरी काम नहीं हो तब तक लोगों को चंद्रमा के प्रभाव में नहीं आना चाहिए नहीं तो इसके कई दुष्परिणाम लोगों को उठाने पर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं समूचे भारतवर्ष में सबसे पहले कहां पर लोगों को चंद्रग्रहण के दर्शन हो सकते हैं जिसको जानने की बेकरारी हर किसी के मन में बैठी हुई है।
भारत के इस शहर में सबसे पहले दिख जाएगा चंद्र ग्रहण
पृथ्वी अपनी धुरी से घूमते हुए जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है तभी चंद्रग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है। हर कोई इस बात को जानता है कि चंद्रग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए और आपको बता दें कि 8 नवंबर को लगने वाला यह चंद्रग्रहण सबसे पहले किस शहर में दिखेगा। दरअसल अरुणाचल प्रदेश के जिले ईटानगर में इस साल का लगने वाला आखिरी चंद्र ग्रह सबसे पहले नजर आएगा जिसकी स्थिति शाम को 5:20 से 6:18 तक की रहेगी। लगभग 1 घंटे तक लगने वाले इस चंद्र ग्रहण की स्थिति को देखने के लिए आप ऑनलाइन कई वेबसाइट के ऊपर जाकर इसको देख सकते हैं। तकरीबन 1 घंटे तक इस चंद्र ग्रहण की स्थिति को आप खुली आंखों से देखने की बोल बिल्कुल भी ना करें और अगर आपके अंदर इसकी उत्सुकता हो तो आप अपने चश्मे के ऊपर काली पट्टी लगाकर दुर्लभ ग्रहण के दर्शन करें।