गौतम अड़ानी साइकिल पर बेचते थे साड़ियां, इस तरह मेहनत से बदली गौतम अड़ानी की पूरी जिंदगी

गौतम अडानी जो भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक माने जाते हैं उनके लिए साल 2023 की शुरुआत बिल्कुल भी अच्छी नहीं रही है। साल 2023 की शुरुआत में अडानी भारत के सातवे सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन हिंडेनबर्ग के नए आंकड़ों के मुताबिक अरबों रुपए के घाटे की वजह से गौतम अडानी की संपत्ति में काफी कमी हो गई है और वह 22 वे स्थान पर खिसक गए हैं। हालांकि गौतम अडानी के लिए भारत का सबसे बड़ा उद्योगपति बनना बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि पैसों की कमी की वजह से उन्होंने कॉलेज में एडमिशन तक नहीं लिया था और आइए आपको बताते हैं कैसे अपने जीवन के शुरुआती दिनों में गौतम अपने पिता के साथ साइकिल पर बैठकर साड़ियां बेचा करते थे।

गौतम अडानी साड़ियों का कर चुके हैं काम

गौतम अड़ानी साइकिल पर बेचते थे साड़ियां, इस तरह मेहनत से बदली गौतम अड़ानी की पूरी जिंदगी

गौतम अडानी को आज इस मुकाम पर लोग देखते हैं तब सभी लोग यही कहते हैं कि यह सब उन्हें बना बनाया मिला है लेकिन खुद गौतम अडानी ने अपने कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया है कि वह बचपन में पिता के साथ साइकिल पर बैठकर साड़ी बेचा करते थे और उसके बाद जब उन्हें समझ में आ गया कि इससे उनकी रोजी-रोटी नहीं चलेगी तब मात्र ₹10 लेकर वह अहमदाबाद से मुंबई आ गए जहां पर एक हीरे के व्यवसाई के घर पर वह काम करने लगे हालांकि यहां पर काम करते हुए उन्हें कम समय ही हुआ था कि उनके भाई मनसुख ने उन्हें अपने पास बुला लिया और यह दोनों भाई मिलकर प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे। आइए आपको बताते हैं अपने भाई मनसुख के साथ मिलकर कैसे अडानी ने अपने इंटरप्राइजेज की नीव डाली जो आज विश्व के सबसे महंगे कंपनियों में से एक है।

गौतम अडानी ने अपने भाई के साथ मिलकर डाली व्यवसाय की नीव

गौतम अड़ानी साइकिल पर बेचते थे साड़ियां, इस तरह मेहनत से बदली गौतम अड़ानी की पूरी जिंदगी

हीरे के व्यवसाई के यहां नौकरी छोड़कर वह अपने भाई मनसुख के साथ प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे और वहीं से उन्होंने अपने काम की निपुणता सीखी। कुछ समय बाद दोनों ही भाइयों ने 1988 में अपने फैक्ट्री वाले काम को छोड़कर अपना खुद का व्यवसाय करने का सोचा और 1988 में पहली बार अडानी इंटरप्राइजेज की नींव रखी गई। सभी कामों में निपुणता इन दोनों भाई ने सीख ली थी और उसके बाद धीरे-धीरे खुद ही उन्होंने अपने काम को करना शुरू किया और देखते ही देखते अडानी इंटरप्राइजेज आसमान की बुलंदियों को छूने लगा। आज अडानी जो कुछ भी है वह सब अपनी मेहनत और संघर्ष की बदौलत है और उन्हें कुछ भी बना बनाया नहीं मिला है। जिसने भी गौतम के इस संघर्ष को सुना है तब वह उनकी तारीफ करते हैं और यह कहते हैं कि अडानी ने जीवन में हार नहीं मानी।

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