12वीं में फेल होते होते बचा था कानाराम तब गाँव वालों ने सुनाये थे ताने, संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में 1st रैंक लाकर कानाराम ने सबकी बोलती कर दी बंद

कहते हैं असफलता सफलता की पहली सीढ़ी होती है। कई बार यह देखा जाता है कि लोग कुछ असफलता से ही निराश हो बैठे हैं और प्रयास करना छोड़ देते हैं वहीं कुछ लोग अपने मेहनत के बलबूते अपने सपने को साकार कर लेते हैं और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कानाराम ने हाल ही में जिन की कहानी इन दिनों लोगों के दिलों को जीत रही है। दरअसल कानाराम शुरुआत से ही एक औसत विद्यार्थी थे और किसान के बेटे होने की वजह से पढ़ाई के साथ उन्हें अपने पिता के कामों में भी हाथ बताना पड़ता था जिसकी वजह से कहीं ना कहीं उनकी पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित होती थी। आइए आपको बताते हैं कैसे 12वीं कक्षा में खराब अंक लाने वाले छात्र ने हाल ही में ऐसा क्या कारनामा कर दिखाया है जिसके बाद सभी लोग उनके जज्बे को सलामी दे रहा है।

कानाराम को 12वी में प्राप्त हुए थे मात्र 48% अंक

12वीं में फेल होते होते बचा था कानाराम तब गाँव वालों ने सुनाये थे ताने, संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में 1st रैंक लाकर कानाराम ने सबकी बोलती कर दी बंद

कई बार स्कूलों में कम अंक मिलने की वजह से परीक्षार्थी पूरी तरह से हतोत्साहित हो जाते हैं और वह पढ़ाई करना बंद कर देते हैं। कानाराम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था क्योंकि 12वीं में जब सिर्फ 48% अंक उन्हें प्राप्त हुए थे तब पूरे गांव वाले उनका मजाक बना रहे थे और खुद कानाराम ने सोच लिया था कि वह आगे पढ़ाई नहीं करेंगे लेकिन कहीं न कहीं उनके अंदर एक दृढ़ निश्चय था कि वह अब कुछ ऐसा करेंगे कि पूरा गांव उनका सम्मान करेगा और हाल ही में कानाराम ने संस्कृत लेक्चरर के परीक्षा में कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। आइए आपको बताते हैं कैसे 12वीं में 48% अंक लाने वाले इस होनहार छात्र ने हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद को ज्वाइन किया है।

संस्कृत लेक्चरर की परीक्षा में किया टॉप

12वीं में फेल होते होते बचा था कानाराम तब गाँव वालों ने सुनाये थे ताने, संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में 1st रैंक लाकर कानाराम ने सबकी बोलती कर दी बंद

कानाराम को जब मात्र 48% अंक प्राप्त हुए तब उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी का सभी लोगों ने बहुत मजाक उड़ाया था और उसके बाद ही कानाराम ने यह ठान लिया था कि जब तक वह कुछ बन नहीं जाएंगे तब तक वह अपना चेहरा लोगों को नहीं दिखाएंगे जिसके बाद उन्होंने दिन-रात अथक परिश्रम करते हुए खुद को इतना मेधावी बना लिया कि हाल ही में पूरे भारत में संस्कृत लेक्चरर परीक्षा में उन्होंने नंबर एक स्थान प्राप्त किया। जिस छात्र को 12वीं के अंक देखकर लोग मजाक बना रहे थे अब उसी छात्र कि लोग गांव में मिसाल पेश करते नजर आ रहे हैं और यह कह रहे हैं कि कानाराम ने जो सपना अपने और अपने माता-पिता के लिए देखा था उसे उन्होंने सार्थक कर दिखाया है और सभी लोग इसी वजह से उनके जज्बे को सलामी देते हुए नजर आ रहा है।

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