ट्रक चलाने वाले के बेटे ने लालटेन की रोशनी में पढ़कर पास की UPSC की परीक्षा, IAS बनकर पवन कुमार ने बढ़ाया अपने पिता का मान

कहते हैं की अगर सपनों की उड़ान भरनी है तो संघर्षों को पार करना ही पड़ता है और कुछ ऐसा ही संघर्षों की दास्तान को पार कर दिखाया है पवन कुमार कुमावत ने जो राजस्थान के रहने वाले हैं। पवन कुमार के नए कारनामे को हाल ही में जिस किसी ने भी सुना है तो वह जमकर उनकी तारीफ करता नजर आ रहा है और यह कह रहा है कि विश्वास नहीं होता कि कोई इतने संघर्षों के बाद भी इतनी कठिन डगर को पार कर सकता है। दरअसल पवन कुमार कुमावत के बारे में आपको बता दें कि उनके पिता नागौर के ट्रक चालक हैं और अधिकांश समय वह अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं लेकिन आइए आपको बताते हैं कैसे लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते हुए ही पवन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लिया है।

पवन कुमार कुमावत की गांव में होने लगी है जय जयकार

ट्रक चलाने वाले के बेटे ने लालटेन की रोशनी में पढ़कर पास की UPSC की परीक्षा, IAS बनकर पवन कुमार ने बढ़ाया अपने पिता का मान

राजस्थान के नागौर जिले में रहने वाले प्रमोद कुमार कुमावत ने हाल ही में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में पास कर लिया है और उनके इस लगन और मेहनत को देखते हुए सभी लोग जमकर उनकी तारीफ कर रहे हैं क्योंकि पवन के पास उस तरह के महंगे साधन नहीं थे कि वह महंगे कोचिंग क्लास ज्वाइन कर सके और उसकी वजह से ही घर पर रहकर पवन कुमार कुमावत अपनी तैयारियों को अंजाम देते थे। पवन कुमार ने बताया कि उनकी इस सफलता का श्रेय वह एक ऐसे छात्र को देना चाहते हैं जिन्होंने 2005 में रिक्शा चालक का बेटा होकर भी यूपीएससी का एग्जाम निकाला था और आइए आपको बताते हैं कैसे पवन कुमार कुमावत को देखकर उनके पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं जिन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए अपनी जन्मभूमि को छोड़ दिया था।

पवन को पढ़ाने के लिए छोड़ दिया था उनके पिता ने अपनी जन्म भूमि

ट्रक चलाने वाले के बेटे ने लालटेन की रोशनी में पढ़कर पास की UPSC की परीक्षा, IAS बनकर पवन कुमार ने बढ़ाया अपने पिता का मान

पवन कुमार कुमावत जो लालटेन की रोशनी में पढ़कर यूपीएससी की परीक्षा निकाल चुके हैं हाल ही में उनके परिवार के बारे में जिसने भी सुना है तब सभी लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि पवन ने अकेले ही मेहनत नहीं किया बल्कि उसके पूरे परिवार ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मेहनत की है। दरअसल बेटी के जन्म के बाद से ही उसकी पढ़ाई प्रभावित होने लगी थी जिसके बाद पवन को पढ़ाने के लिए उनके पिता ने अपनी जन्मभूमि को छोड़कर नागौर जिले में रहने का ठान लिया जहां पर शिक्षा के अच्छे स्तर थे लेकिन बिजली की व्यवस्था ना होने की वजह से पवन लालटेन की रोशनी में ही पढ़ने लगा और आज उन्होंने ऐसा मुकाम बना दिया है कि हर कोई पवन के नाम की मिसाल पेश कर रहा है और उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा है।

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