गांव में खेतीबारी करते हुए तय किया अपने आईएएस बनने का सफर, इस वजह से देखा था सपना

कहते हैं सपनों की उड़ान अगर पूरी करनी है तो उसके लिए कठिन संघर्षों को पार करना पड़ता है और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान के श्रीगंगानगर गांव में रहने वाले रवी कुमार सिहाग ने जिन्होंने मात्र 26 वर्ष की उम्र में आईएएस की परीक्षा में पूरे भारत में 18 रैंक लाया है और अब वह रेलवे की सेवा करते नजर आ रहे हैं। जिस किसी ने भी रवि कुमार सिहाग के बारे में यह सुना है कि उन्होंने आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है तो वह उनकी तारीफ कर रहा है लेकिन जैसे ही लोगों को यह पता चला है कि इस परीक्षा के पास करने के पहले उनका जीवन कितना संघर्षों में गुजरा है तब सभी लोग उन्हें सलामी देते हुए नजर आ रहे हैं। आइए आपको बताते हैं रवि कुमार सिहाग ने कैसे लंबे संघर्ष के बाद इस मुकाम को पाया है।

रवि कुमार सिहाग ने 12वीं के बाद की पिता के साथ खेती-बाड़ी

गांव में खेतीबारी करते हुए तय किया अपने आईएएस बनने का सफर, इस वजह से देखा था सपना

राजस्थान के श्रीगंगानगर में रहने वाले रवि कुमार सिहाग ने 2021 में आईएएस की परीक्षा में पूरे भारत में 18वा रैंक लाया। रवि ने बताया कि उनकी पढ़ाई की शुरुआत गांव के ही सरकारी विद्यालय में हुई थी क्योंकि उन्हें मिलाकर उनके कुल चार भाई बहन थे और उसमें रवि कुमार सबसे छोटे थे। हालांकि पिता ने कभी भी गरीबी को पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया लेकिन सरकारी विद्यालय में पढ़ते हुए उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास कर ली। 12वीं के बाद वह अपने पिता के साथ ही खेतों में हाथ बंटाने लगे और खेतीबाड़ी करने लगे। आइए आपको बताते हैं रवि कुमार सिहाग को आखिर आईएएस बनने की प्रेरणा कहां से मिली जिसका जिक्र भी हाल ही में उन्होंने किया है।

रवि कुमार सिहाग को यहां से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा

गांव में खेतीबारी करते हुए तय किया अपने आईएएस बनने का सफर, इस वजह से देखा था सपना

जिस किसी ने भी श्री गंगानगर में रहने वाले रवि कुमार सिहाग के संघर्षों की दास्तान को सुना है और यह देखा है कि मात्र 26 वर्ष की उम्र में यह युवक आईएएस बन गया है तब सभी लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि इस युवक के अंदर बहुत प्रतिभा है। रवि ने बताया कि जब वह खेती-बाड़ी में अपने पिता का हाथ बताते थे तब अक्सर कई समस्याएं लेकर गांव वाले और उनके पिता कलेक्टर के पास पहुंचे थे और सभी लोग कलेक्टर के शानदार व्यवहार की खूब तारीफ करते थे और उसके बाद ही रवि कुमार ने यह ठान लिया था कि वह आगे चलकर कलेक्टर बनेंगे और देश सेवा करेंगे। जिस किसी ने भी इसी युवा कि इस बात को सुना है तो सभी लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि इस युवक ने अपने संघर्षों से कभी हार नहीं मानी और अपने सभी सपने को सार्थक कर दिखाया।

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